मदद ✍
जिसे मिलना चाहिए ये
उसे ही नही मिलती
"मदद" है वो शय ज़रूरतमंद
को ही नही मिलती !!
बढ़ते है ढेरो हाथ एक
अमीर को थामने सीढ़ी पे
सड़क पर गिरे गरीब को तो
एक ऊँगली नही मिलती !!
जो खून जला कर लाता है
घर दो वक़्त की रोटी
उसी को कोसता बच्चा घी
में चुपड़ी रोटी नही मिलती !!
किसी के दर्द का सबब
यहाँ किसी की ख़ुशी क्यूँ है
क्यूँ किसी की ख़ुशी से
किसी को ख़ुशी नही मिलती !!
जिसे देखो यहाँ नये रंग ढंग
और फरेब लिये है मिलता
ना जाने क्यूँ किसी से कभी
अपनी तासीर नही मिलती !!
ये दुनिया कैसी है "रूप"
यहाँ का दस्तूर कैसा हैं
किसी को ख्वाब तो दिखते है
मग़र ताबीर नही मिलती !!
रूपम बाजपेयी "रूप"
कवियित्री, लेखिका
जबलपुर मध्य प्रदेश
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