एहसान ✍
एहसान दुबारा ज़िन्दगी दे
कर कुछ यूँ कर दिया लोगो ने
मुझसे मेरी मर्ज़ी से जीने का
भी हक़ छीन लिया लोगो ने ।।
रख दिया मुझको अपने पैरों
के नीचे यूँ मसल के की
चीखने का भी इक हक़
मुझको ना दिया लोगो ने ।।
एहसान कर के जब कोई
किसी की जान बचाता है
उसे ही एहसान जता जता
के फिर मार दिया लोगो ने ।।
जब भी अपनी मर्ज़ी से
जीवन में बढ़ना चाहो
एक एक पाई हिसाब बता
इज़्ज़त को तार किया लोगो ने ।।
ना हंस सकता है ना ही मर्जी से
ना रो सकता है वो बदनसीब
किस घड़ी में एहसान कर
ज़िन्दगी को खरीद लिया लोगो ने ।।
ना फैसला ले सकता अपने
ना जीना शुरू ही कर सकता
एहसानफरामोशी की दे के
दुहाई अपमान किया लोगो ने ।।
एहसान बुरी से बुरी चीज है
ये कभी मत लेना तुम "रूप"
ऐसी ज़िंदगी पल पल मारती है
ये दिखा दिया लोगो ने ।।
रूपम बाजपेयी "रूप" ✍
लेखिका ,कवयित्री
जबलपुर मध्य प्रदेश
ट्वीटर- @BajpaiRoopam
दैनिक प्रभात चक्र में प्रकाशित ये रचना
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