मेरी खुशियों में हंस देते
मैं रोती तो वो रो देते
काश मेरे भी पापा होते !!
मेरे लिए वो सपने सजाते
प्यार से अपने गले से लगाते
मैं नाम कमाती तो वो खुश होते
काश मेरे भी पापा होते !!
जब भी होती नम आँखे मेरी
पूछते क्या हुआ बिटीया मेरी
मेरी हिम्मत बन साथ होते
काश मेरे भी पापा होते !!
मेरे मन को भी वो टटोलते
मेरे बारे में भी वो तो सोचते
सपनो की मेरे कदर करते
काश मेरे भी पापा होते !!
मुझे भी एक इंसान मानते
मेरे दिल की हर बात जानते
मेरे अकेलेपन को भांप जाते
काश मेरे भी पापा होते !!
दनिया के वार से बचाते
ढाल बन मेरी सामने आते
जब जब हार मैं दुनिया से जाती
मुझमे नया आत्मविश्वास जगाते
काश मेरे भी पापा होते !!
रूपम बाजपेयी "रूप" ✍
कवियत्री लेखिका
No comments:
Post a Comment