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Sunday 11 June 2017

मेरी ज़िंदगी में बहार तुमसे है


मेरी ज़िंदगी में बहार तुमसे है
मेरी हर ख़ुशी मेरा प्यार तुमसे है

तेरी सूरत नज़रो में बसी रहती है
मेरी आँखों का ये ख़ुमार तुमसे है

साथ नही हो फिर भी साथ हो तुम
तन्हाई दूर हुई ज़िन्दगी गुलज़ार तुमसे है

कहना चाहती हूँ तुमसे ये बात ए हमदम
मेरे लफ्ज़ मेरी बात मेरे अल्फ़ाज़ तुमसे है

तेरी मासूम सूरत जब भी याद मुझे आती है
तब खिलती है लबो पर जो मुस्कान तुमसे है

मोहोब्बत तेरी मेरे ज़ख्मो का मरहम है
मेरे चेहरे का ये हंसी रुक्सार तुमसे है

मोहोब्बत मेरी नाकाम ना होगी कभी
मेरा चाहत पर ये एतबार तुमसे हैं

आये हो मिरी ज़िन्दगी में तो बस मेरे बन के रहना
मेरे दिल में मौसम-ए-बहार तुमसे है !!

रूपम बाजपेयी "रूप"
कवयित्री लेखिका
जबलपुर मध्यप्रदेश

ट्वीटर- @BajpaiRoopam

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