मेरी ज़िंदगी में बहार तुमसे है
मेरी हर ख़ुशी मेरा प्यार तुमसे है
तेरी सूरत नज़रो में बसी रहती है
मेरी आँखों का ये ख़ुमार तुमसे है
साथ नही हो फिर भी साथ हो तुम
तन्हाई दूर हुई ज़िन्दगी गुलज़ार तुमसे है
कहना चाहती हूँ तुमसे ये बात ए हमदम
मेरे लफ्ज़ मेरी बात मेरे अल्फ़ाज़ तुमसे है
तेरी मासूम सूरत जब भी याद मुझे आती है
तब खिलती है लबो पर जो मुस्कान तुमसे है
मोहोब्बत तेरी मेरे ज़ख्मो का मरहम है
मेरे चेहरे का ये हंसी रुक्सार तुमसे है
मोहोब्बत मेरी नाकाम ना होगी कभी
मेरा चाहत पर ये एतबार तुमसे हैं
आये हो मिरी ज़िन्दगी में तो बस मेरे बन के रहना
मेरे दिल में मौसम-ए-बहार तुमसे है !!
रूपम बाजपेयी "रूप"
कवयित्री लेखिका
जबलपुर मध्यप्रदेश
ट्वीटर- @BajpaiRoopam
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