Translate

Sunday 1 March 2015

उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी
उससे जब नज़रें मिलीं थीं वो घड़ी अच्छी लगी
उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा`तुम हो मेरीे`
दिन गुलाबी हो गए,ये ज़िन्दगी अच्छी लगी
पूछते हैं लोग मुझसे,उसमें ऐसा क्या है ख़ास
सच बताऊँ मुझको उसकी सादगी अच्छी लगी
कँपकँपाती उँगलियों से ख़त लिखा उसने
जैसी भी थी वो लिखावट वो बड़ी अच्छी लगी 

1 comment: