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Monday 9 March 2015

तुम साथ मेरे होते तो अच्छा होता 

तुम साथ मेरे होते तो अच्छा होता
तुम पास मेरे होते तो अच्छा  होता

तन्हाइयो में बैठ बहाते  जो आंसू अक्सर
गले तेरे लग के  हम रोते तो अच्छा होता

 हर हसरत पूरी होती ख्वाब सुहाने हम देखा करते
ख्वाब अधूरे पूरे होते तो अच्छा होता

मैं अपनी तुमको बतलाती तुम अपनी हमको बतलाते
ऐसे ही जीवन कट जाता तो अच्छा होता

आँखें मेरी तुझसे जब दर्द बयां करती मेरा
और चूम लेते तुम आँखों को तो अच्छा होता

तुम जिस दर्द को अकेले पीते हो
हम साथ उसे मिल पीते तो अच्छा होता

ख़ुशी कोई होती या होता कोई गम
हम जिंदगी ऐसे हे जी लेते तो अच्छा होता

सपने तो सपने हैं कब पुरे होते है "रूप"
पर ये सपना सच होता तो अच्छा होता

रूपम बाजपेई "रूप"

10 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर

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  2. अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति


    (मेरी एक टिप्पणी जाने किधर गई ..पुनः प्रकाशित )

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