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Saturday 8 August 2015



तेरा प्यार मेरे लिये कुछ ऐसा मेहबूब
जैसे ठंडी सर्दियों में गुनगुनी सी धुप........
                                                   --------रूपम बाजपेयी 'रूप'

Friday 13 March 2015

माँ तुम्हारे लिये......!



तेरी लाड़ली बिटिया हूँ मैं तुझसे दूर कैसे रह पाऊँ :-

तेरे बिन मैं जी न पाऊँ , तुझसे दूर हो कर घबराऊ 
तेरी लाड़ली बिटिया हुँ  मैं तुझसे दूर कैसे रह पाऊँ 

मुझे जिंदगी देनेवाली, तुझ बिन सांस कैसे ले पाऊँ 
तेरी लाड़ली बिटिया हुँ मैं तुझसे दूर कैसे रह पाऊँ 

तू जो एक बार हँस दे , फूल सी मैं खिल जाऊँ 
तेरी आँखों में जो आँसू आ जाये , खुद को भी रोक न पाऊँ 
                                             तेरी लाड़ली बिटिया हूँ मैं तुझसे दूर कैसे रह पाऊँ 

                                             बुरे  वक़्त पे रिश्ते नाते तोड़ते हैं..... 
                                             माँ के आँचल सिर पर सदा साथ होते हैं..... 
                                             माँ के आँचल के साये से फिर कैसे दूर रह पाऊँ 
                                             तेरी लाड़ली बिटिया हुँ  मैं तुझसे दूर कैसे रह पाऊँ 

                                            खुद को अकेला जब समझू, साथ सदा तुझको पाऊँ 
                                            तेरे वात्सल्य की छाँव में खुद को सुरक्षित पाऊँ 
                                            तेरी लाड़ली बिटिया हु मैं तुझसे दूर कैसे रह पाऊँ। .... 

                                                                                                                   -रूपम बाजपाई  "रूप"



Thursday 12 March 2015

तेरे होंठो से सज जाऊ दुआ होने को जी चाहता है 
मेरी दुनिया भुला कर बस तेरा होने  को जी चाहता है,

यूँ  सब के सामने अठखेलियां करती है ये तुझसे 
के मेरा बेइरादा ही  हवा होने को जी चाहता है, 

तू मेरा रुठने पे इस तरह मुझको मनाता है 
कभी  बेवजह तुझसे खफा होने को जी चाहता है,

कभी तुझसे मिले बिन जिंदगी बेकार लगती है 
कभी तुझसे बिछड़ने को जुड़ा होने को जी चाहता है !!!!!

Monday 9 March 2015

तुम साथ मेरे होते तो अच्छा होता 

तुम साथ मेरे होते तो अच्छा होता
तुम पास मेरे होते तो अच्छा  होता

तन्हाइयो में बैठ बहाते  जो आंसू अक्सर
गले तेरे लग के  हम रोते तो अच्छा होता

 हर हसरत पूरी होती ख्वाब सुहाने हम देखा करते
ख्वाब अधूरे पूरे होते तो अच्छा होता

मैं अपनी तुमको बतलाती तुम अपनी हमको बतलाते
ऐसे ही जीवन कट जाता तो अच्छा होता

आँखें मेरी तुझसे जब दर्द बयां करती मेरा
और चूम लेते तुम आँखों को तो अच्छा होता

तुम जिस दर्द को अकेले पीते हो
हम साथ उसे मिल पीते तो अच्छा होता

ख़ुशी कोई होती या होता कोई गम
हम जिंदगी ऐसे हे जी लेते तो अच्छा होता

सपने तो सपने हैं कब पुरे होते है "रूप"
पर ये सपना सच होता तो अच्छा होता

रूपम बाजपेई "रूप"

Wednesday 4 March 2015

लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता,
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता
किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में,
यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता...!!
अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर,
अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता…!!
इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती..
अगर इस ज़िंदगी में प्यार मुझे तुम जैसा नहीं मिलता !
-
रूपम  बाजपाई 

Sunday 1 March 2015

उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी
उससे जब नज़रें मिलीं थीं वो घड़ी अच्छी लगी
उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा`तुम हो मेरीे`
दिन गुलाबी हो गए,ये ज़िन्दगी अच्छी लगी
पूछते हैं लोग मुझसे,उसमें ऐसा क्या है ख़ास
सच बताऊँ मुझको उसकी सादगी अच्छी लगी
कँपकँपाती उँगलियों से ख़त लिखा उसने
जैसी भी थी वो लिखावट वो बड़ी अच्छी लगी