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Sunday, 18 June 2017

काश मेरे भी पापा होते

मेरी खुशियों में हंस देते
मैं रोती तो वो रो देते
काश मेरे भी पापा होते !!

मेरे लिए वो सपने सजाते
प्यार से अपने गले से लगाते
मैं नाम कमाती तो वो खुश होते
काश मेरे भी पापा होते !!

जब भी होती  नम आँखे मेरी
पूछते क्या हुआ बिटीया मेरी
मेरी हिम्मत बन साथ होते
काश मेरे भी पापा होते !!

मेरे मन को भी वो टटोलते
मेरे बारे में भी वो तो सोचते
सपनो की मेरे कदर करते
काश मेरे भी पापा होते !!

मुझे भी एक इंसान मानते
मेरे दिल की हर बात जानते
मेरे अकेलेपन को भांप जाते
काश मेरे भी पापा होते !!

दनिया के वार से बचाते
ढाल बन मेरी सामने आते
जब जब हार मैं दुनिया से जाती
मुझमे नया आत्मविश्वास जगाते
काश मेरे भी पापा होते !!

रूपम बाजपेयी "रूप" ✍
कवियत्री लेखिका

 

Sunday, 11 June 2017

मेरा प्यार हो तुम

मेरा प्यार हो
मेरा करार हो
मेरी ज़िंदगी की
बहार हो

तुम यार हो
ऐ हमकदम
ज़िन्दगी का
तुम सार हो

हो आज कल
चाहे कोई पल
तुम साथ हो
संसार हो ❤

मेरी ज़िंदगी में बहार तुमसे है


मेरी ज़िंदगी में बहार तुमसे है
मेरी हर ख़ुशी मेरा प्यार तुमसे है

तेरी सूरत नज़रो में बसी रहती है
मेरी आँखों का ये ख़ुमार तुमसे है

साथ नही हो फिर भी साथ हो तुम
तन्हाई दूर हुई ज़िन्दगी गुलज़ार तुमसे है

कहना चाहती हूँ तुमसे ये बात ए हमदम
मेरे लफ्ज़ मेरी बात मेरे अल्फ़ाज़ तुमसे है

तेरी मासूम सूरत जब भी याद मुझे आती है
तब खिलती है लबो पर जो मुस्कान तुमसे है

मोहोब्बत तेरी मेरे ज़ख्मो का मरहम है
मेरे चेहरे का ये हंसी रुक्सार तुमसे है

मोहोब्बत मेरी नाकाम ना होगी कभी
मेरा चाहत पर ये एतबार तुमसे हैं

आये हो मिरी ज़िन्दगी में तो बस मेरे बन के रहना
मेरे दिल में मौसम-ए-बहार तुमसे है !!

रूपम बाजपेयी "रूप"
कवयित्री लेखिका
जबलपुर मध्यप्रदेश

ट्वीटर- @BajpaiRoopam